
बोरो भाषा (भारत)
Boro language (India)
(Tibeto-Burman language spoken in India)
Summary
बोरो भाषा: उत्तर-पूर्व भारत की एक महत्वपूर्ण भाषा
बोरो (बरʼ [bɔro]), जिसे बोडो भी कहा जाता है, एक चीनी-तिब्बती भाषा है जो मुख्य रूप से उत्तर-पूर्व भारत में बोरो लोगों द्वारा बोली जाती है। यह नेपाल और बांग्लादेश के पड़ोसी देशों में भी बोली जाती है। यह भारत के असम राज्य की एक आधिकारिक भाषा है और मुख्य रूप से बोड़ोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र में बोली जाती है। यह भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध बीस भाषाओं में से एक है।
1975 से इस भाषा को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। पहले इसे लैटिन और पूर्वी-नागरी लिपि में लिखा जाता था। कुछ विद्वानों का मानना है कि इस भाषा की अपनी एक खोई हुई लिपि थी जिसे देवधाई कहा जाता था।
बोरो भाषा की कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- बोरो भाषा लगभग 15 लाख लोगों द्वारा बोली जाती है।
- यह असम में प्रमुख जनजातीय भाषा है और यह बोड़ोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र की संस्कृति और पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- बोरो भाषा में समृद्ध साहित्य है जिसमें कविता, कहानियाँ और नाटक शामिल हैं।
- बोरो भाषा में शिक्षा और प्रशासन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका है।
- बोरो भाषा को बचाए रखने और बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं।
बोरो भाषा के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
- बोरो भाषा में कई अलग-अलग बोलियाँ हैं, जिनमें से कुछ एक-दूसरे को समझने में मुश्किल होती हैं।
- बोरो भाषा में कुछ अद्वितीय ध्वन्यात्मक विशेषताएँ हैं जो इसे अन्य भाषाओं से अलग करती हैं।
- बोरो भाषा में कई प्राचीन परंपराएँ और कहानियाँ हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही हैं।
निष्कर्ष:
बोरो भाषा उत्तर-पूर्व भारत की एक महत्वपूर्ण भाषा है जो एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करती है। यह भाषा बोरो लोगों की पहचान का एक अभिन्न अंग है और इसके संरक्षण और विकास के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है।